निकालने के समय पर खेतों में जल रही सोयाबीन, प्राकृतिक आपदा से जमकर हुई बर्बादी
शिप्रा । बर्बाद फसल के मुआवजे के इंतजार और चुनावी वायदों से परेशान किसान कोई राहत ना मिलते देख अब खेतों में खड़ी अपनी बर्बाद फसल जलाने को मजबूर है।इधर उपचुनाव में सबसे प्रतिष्ठा पूर्ण मानी जा रही सांवेर विधानसभा क्षेत्र के किसानों का आलम यह है कि सैकड़ों एकड़ में बोई गई सोयाबीन की फसलों का अब तक सर्वे ही नहीं हो सका है।बीते 2 महीने से राहत और सर्वे के इंतजार में परेशान किसानों ने अब अगली जुताई के लिए अपनी-अपनी सपने खेतों में ही जलाना शुरू कर दी है जिससे कि आगामी उपज की तैयारी की जा सके सांवेर कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक क्षेत्र के कुल 18500 हेक्टेयर में बोई गई फसल में से अधिकांश हिस्सा पूरी तरह बर्बाद है।सोयाबीन के जिन पौधों में फलियां लगी उनमें भी बीज नहीं आ पाए वर्षा और अत्यधिक वर्षा के दौरान जिन खेतो मैं फसल बची रह गई उनमें भी दाने नहीं आ पाए हैं।ऐसी स्थिति में क्षेत्र के किसानों के लिए उनके खेतों में अनुपयोगी हो चुकी फसल को जलाने अथवा खेतों में ही रौंद देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।क्षेत्र के गांव पिरकराडिया में खेती करने वाले किसान मनोज पटेल बताते हैं कि उन्होंने अपने 5 बीघा खेत में सोयाबीन की फसल बोई थी इसमें कुल लागत आई,करीब 36 हजार। लेकिन ऐन मौके पर फसल बर्बाद हो गई। गांव बरलाई के किसान दिनेश डाबी ने बताया कि पानी गिरने के कारण अभी फसल खड़ी है।खेत सूखते ही जलाना है या ट्रेक्टर चलवाना है।हर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और तमाम जिम्मेदार चुनावों में व्यस्त हैं।लेकिन किसानों को सिर्फ दिलासा दिया जा रहा है।लिहाजा अब चुनावी मुआवजा का इंतजार छोड़ उनके जैसे तमाम किसान खेतों को साफ कर नई फसल की तैयारी में जुट गए हैं।
-पूरी तहसील में सभी पटवारीयो को चार से पांच गांव देकर सर्वे करवाया जा रहा है।जल्द ही पूरा हो जाएगा
-आर एस मंडलोई,अनुविभागीय अधिकारी साँवेर
-प्रति बीघा में एक किसान को क्या खर्च आता है।
1-खेत हकाई ट्रेक्टर से-400 रु
2-खेत बुआई ट्रेक्टर से-400 रु
3-25 kg बीज की सोयाबीन,अनुमानित 1500 रु की
4- एनपीके खाद 1100 रु
5-चार और इल्ली की दवाई करीब 1500 रु
6-फसल कटाई 1300 रु
7-थ्रेसर मशीन से निकलाई 500 रु
कुल खर्च होता है-6700 रु
डकाच्या के किसान राजकुमार पटेल के अनुसार
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